NPA FULL FORM: Non-Performing Assets बैंक के संदर्भ में NPA यानी Non-Performing Assets एक बहुत बड़ा मुद्दा का विषय रहा हैं और आज भी इससे जुड़ी ख़बरें आये दिन अखबारों में प्रकाशित होना या TV चनेलों में देखने को मिलता हैं। किसी भी बैंक में धनराशी की उपलब्धता उसकी NPA होने या न होने पर ही निर्भर करता हैं। जायदा NPA होने पर बैंक अपने अगले दौर में व्यक्ति को Loan मुहैय्या नही करा पाएगी और इससे बैंक की आमदनी पर असर पड़ेगा। सबसे पहले यह समझते हैं की NPA यानी
Non-Performing Assets आखिर हैं क्या? इसको समझने से पहले यह जानते हैं की Asset क्या होता हैं
और इसके अलावा इससे जुड़ी और एक शब्द Liability को भी जानना जरूरी हैं।
Assets को आमतौर पर किसी वस्तु अथवा सामान के तौर पर समझा जाता हैं और
Liability का मतलब दायित्व होता हैं।अब इस बात को उदहारण के द्वारा समझते हैं।
अगर आपके पास एक स्मार्टफोन हैं तो इसका मतलब यही हुआ की
यह स्मार्टफोन आपका खुद का हैं और आपके लिए यह एक Asset हुआ।
अगर आपको किसी आवश्यक कार्य सेकही दूर जाना हो लेकिन आपके पास कोई
साधन नही हैं जिससे की आप जा सके तो ऐसी स्थिति में आप अपने दोस्त या रिश्तेदार
से उनका वाहन मांगेंगे और यह आपको मिल जाने पर आप अपना कार्य पूरा कर वाहन को लौटना
एक दायित्व हुआ। इस हिसाब से यह वाहन एक Liability हुआ क्यूंकि यह आपका खुद का नहीं हैं
और इसको लौटना एक दायित्व हैं।
NPA in INDIA
अब इस Assets और Liabilities को बैंक के संदर्भ में भी समझते हैं। मान लीजिये आपके पास
दस हजार रूपये हैं और इसे अपना बैंक अकाउंट में जमा करना चाहते हैं। जाहिर सी बात हैं, इस जमा
धनराशी को आप अपने जरूरत के हिसाब से बैंक से निकासी के रूप में निकल भी पाएंगे।
अब यह रकम बैंक के लिए एक Liability हैं क्यूंकि बैंक का यह दायित्व बन जाता हैं की
जब आप इस रकम को निकलना चाहेंगे आपको यह रकम दिया जाएगा। इसके अलावा
बैंक इस जमा राशी पर Interest भी देती हैं। कुल मिलाकर यह समझा जा सकता हैं की
आपके द्वारा बैंक अकाउंट पर जमा होने वाली धनराशी बैंक के लिए एक Liability होती हैं
और यही रकम आपके लिए एक Asset।
मान लीजिये एक व्यक्ति को अपना कारोबार शुरू करने के लिए बैंक द्वारा धनराशी मुहैय्या कराया जाता हैं। यह राशी उस व्यक्ति को एक Loan यानी ऋण के रूप में बैंक से प्राप्त होता हैं जिसे हर महीने किश्त के रूप में बैंक को वापस करना पड़ता हैं। चूँकि बैंक ने अपना धनराशी व्यक्ति को Loan के रूप में दिया इसीलिए यह रकम बैंक का Asset हुआ जिसे हर महीने बैंक को किश्त के रूप में और Interest सहित वापस मिलता रहेगा। अब व्यक्ति का दायित्व यह हैं की उनको Loan के रूप में बैंक से मिला हुआ धनराशी को हर महीने किश्त के रूप में वापस करना हैं इसीलिए यह रकम इस व्यक्ति के लिए एक Liability हैं।
NPA FULL FORM –एनपीए क्या होता है
अब समझते है NPA यानी Non-Performing Assets क्या होता हैं। साधारण तौर पर यही समझा जाता है
की जो Assets काम करना बंद कर देता हैं यानी perform नही करता उसे NPA Full Form
यानी Non-Performing Assets कहते हैं।
NPA MEANING
Banking के संदर्भ में Non-Performing Assets को समझने के लिए, मान लीजिये एक व्यक्ति बैंक से एक लाख रूपये कर्ज लेता हैं। इसका मतलब यही हुआ की Loan के रूप में दिया गया रकम Bank के लिए एक Asset है जिसे हर महीने उस व्यक्ति से किश्त के रूप में बैंक को प्राप्त होता रहेगा। Loan के रूप में प्राप्त रकम उस व्यक्ति के लिए एक Liability हैं क्यूंकि उन्हें इस रक्म को हर महीने किश्त के रूप में लौटाते रहना एक दायित्व बन जाता हैं। (किश्त की राशी पर Interest की रक्म भी शामिल होता हैं)। मान लीजिए, अब यह व्यक्ति Loan की अदाएगी की शुरुआत January महीने से करता हैं। January में इन्होने पहला किश्त का भुगतान बैंक को किया, दूसरा किश्त का भुगतान February महीने को किया,
तीसरा भुगतान March महीने को और चौथा भुगतान April महीने को किया। लगातार हो रहें चार महीने तक किश्त की भुगतान को बैंक का Standard Asset माना जायेगा।
Basic Concepts of Banking Needs of Individuals and Entities
अब इसके बाद बाद मान लीजिये की व्यक्ति May महीने को किश्त अदाएगी नही कर पाता हैं,
फिर June महीने में भी नहीं कर पाता और July महीने में भी नहीं। जब Loan की किश्त की
भुगतान तय समय सीमा के भीतर न होकर और अगले नब्बे दिनों तक नही हो पाता हैं तो बैंक
इस तरह के Assets को NPA FULL FORM – Non-Performing Assets यानी
NPA घोषित कर देता हैं। लेकिन ऐसा नही है की किश्त की भुगतान न होने पर 90 दिनों तक
बैंक खामोश रहता हैं। तय समय सीमा के अंदर किश्त प्राप्त न होने पर बैंक इस तरह के
Asset को SMA यानी Special Mention Account की श्रेणी में डाल दिया जाता हैं जो तीन तरह के होते हैं:-
- SMA0) – किश्त की भुगतान के तय समय सीमा ख़त्म होने के बाद, पहला दिन से लेकर अगला तीसवां दिन तक
- SMA1 – किश्त की भुगतान के तय समय सीमा ख़त्म होने के बाद, एकतीसवां दिन से लेकर अगला साठवाँ दिन तक
- SMA2 – किश्त की भुगतान के तय समय सीमा ख़त्म होने के बाद, इकसठवाँ दिन से लेकर अगला नव्वेवां दिन तक
NPA full form in salary
SMA0, SMA1 और SMA2 का दौर ख़त्म हो जाने पर और किसी Loan की किश्त भुगतान न होने पर, बैंक Asset को Non-Performing Assets (NPA) घोषित कर देता हैं। लेकिन इस SMA दौर पर भी बैंक की यह लगातार कोशिश रहती है की Asset को Non-Performing Assets (NPA) घोषित न हो जिसके लिए व्यक्ति को किश्त की भुगतान ले लिए बार बार कहाँ जाता हैं।
Non-Performing Assets (NPA) घोषित हो जाने पर बैंक की Asset को को भी तीन श्रेणीओं में बांटा गया हैं:-
1. Sub Standard Asset – NPA की शुरुआती पहला दिन से लेकर बारह महीने के दौर तक
किश्त की भुगतान न चुकाने पर बैंक की Asset को Sub Standard Asset कहा गया हैं।
2. Doubtful Asset – Sub Standard Asset के बारह महीने का दौर पूरा हो जाने पर भी
अगले बारह महीने तक किश्त की भुगतान न चुकाने पर बैंक की Asset को Doubtful Asset कहा गया हैं।
3. Loss Asset – Doubtful Asset के दौर पर किश्त की भुगतान न चुकाने पर और इस दौर के ख़त्म होते
ही बैंक Internal या External Audit कराकर अगर यह पुष्टि कर लेता हैं की अब आगे और Loan की किश्त
की भुगतान नही हो पायेगा तो बैंक अपने इस Asset को Loss Asset घोषित कर देता हैं।
इसके बाद बैंक दूसरा विकल्प Loan Recovery की शुरुआत करता हैं जिसके लिए Debt Recovery Agent
की नियुक्ति भी होती हैं। इसके लिए समय-समय पर कोई सारे क़ानूनी भी बने हैं जिनमे से प्रमुख नाम हैं
Company Act 1956, Recovery of Debt Act 1993 and SARFAESI Act 2002
(Securitization and Reconstruction of Financial Asset and Enforcement of Securities Interest Act – 2002)
किसानों को दिया गया कर्ज पर Non-Performing Assets (NPA) की परिभाषा अलग होता हैं।
किसानों को दिया गया Loan को CROP LOAN कहते हैं जो दो तरह के होते हैं:-
1.Short Term Crop-Loan – जो फसल एक साल में तैयार होता हो और इसके लिए Bank
द्वारा मुहैय्या कराया गया Loan को Short Term Crop-Loan कहते हैं।
2. Long Term Crop-Loan – जो फसल तैयार होने में एक साल से ज्यादा का समय लेता हो
और इसके लिए Bank द्वारा मुहैय्या कराया गया Loan को Long Term Crop-Loan कहते हैं।
Short Term Crop-Loan के अंतर्गत अगर किसान द्वारा Loan की किश्त की भुगतान तय समय सीमा के भीतर न होकर और अगले Two-Crop Season (दो फसल कटाई के समय) तक भी नही हो पाता हैं तो बैंक इस तरह के Assets को नॉन पेरफोरमिंग अससेट्स यानी NPA घोषित कर देता हैं।
Long Term Crop-Loan के अंतर्गत अगर किसान द्वारा Loan की किश्त की भुगतान तय समय सीमा के भीतर न होकर और अगले One-Crop Season (एक फसल कटाई के समय) तक भी नही हो पाता हैं तो बैंक इस तरह के Assets को नॉन पेरफोरमिंग अससेट्स यानी NPA घोषित कर देता हैं।
NPA की सम्पूर्ण जानकारी
NPA means Non-Performing Assets and it is a great issue in context of the bank. Some News showing on news channels. The availability of funds in any bank depends on its NPA.
Due to excessive NPA, the bank will not be able to provide loan to the person in its next round and this will affect the bank’s income too. First of all, let us understand all about NPA (Non-Performing Assets). Before understanding this, it is important to know what Asset is and besides this, it is also important to know another word Liability.
Assets are generally refers to items or goods and Liability means responsibility. Now let’s understand this by an example. If you have a Smartphone, it means that this Smartphone personally belongs to you and so, it is an Asset for you. Suppose you have to go somewhere for important task related, but you have no means to go through it. In such a situation, you will ask for a vehicle from your friend or relatives. When you get it, you have an obligation to return to the vehicle after completion of your task. Accordingly, this vehicle is a liability because it is not your personal belongings and it is an obligation to return it to the owner.
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In order to understand these Assets and Liabilities in the context of the bank, let us suppose you have ten thousand rupees and want to deposit it in your bank account. Obviously, you will be able to withdraw this deposit as and when required. Now this amount is a liability for the bank because it becomes the responsibility of the bank that when you want to withdraw this amount you will be given this amount. Apart from this, banks also give interest on this deposit. Overall, it can be understood that the amount you deposit in the bank account is a liability for the bank and the same is an Asset for you.
Some Example: One person is provided funds by the any bank to start his/her own business. This amount is received by the person from the bank in the form of a loan, which has to be returned to the bank as an installment every month. Since the bank gave its money in the form of loans to the person, this amount is actually the Asset of the bank, which will be returned to the bank every month in the form of installment including interest. Now it is the responsibility of the person to return the money received in the form of loan from the bank every month in installment and so this amount is a liability for this person.
NPA FULL FORM –What is NPA
Now, lets us understand what NPA means. In general, we can say the Assets which stops working or do not perform then it is called NPA i.e. Non-Performing Assets.
To understand the Non-Performing Assets (NPA Full Form) in the Banking Terms, let us suppose a person takes a loan of Rupees One Lakh from a bank. This means that the amount given in the form of loan is an Asset for the bank, which will continue to be received from that person every month in the form of installment including interest. The amount received in the form of loan from the bank is a liability for the person as it becomes an obligation for him to return this amount as an installment every month. (Interest amount is also included on the installment amount).
Suppose, now this person starts the loan repayment from the month of January. In January, he paid the first installment to the bank, paid the second installment in February, the third one in March and the fourth in April. Regular payment of installment for four consecutive months will be treated as Standard Asset of the bank.
Now after this, suppose that the person is not able to pay the installment in the month of May, then June and July too. When the loan installment is not paid within the due date, then after Ninety Days of expiry of Due Date, the bank declares such Assets as Non-Performing Assets i.e. NPA. However the bank will not remain in Silent Mode and if the installment is not received within the stipulated time period, such bank Asset will be put in the category of SMA i.e. Special Mention Account, which are of three types: –
एनपीए क्या है?
- SMA0 – After the expiry of due date for repayment of Loan Installment, the period from 1st Day to 30th Day of the SMA falls under SMA0
- SMA1 – After the expiry of due date for repayment of Loan Installment, the period from 31st Day to 60th Day of the SMA falls under SMA1
- SMA2 – After the expiry of due date for repayment of Loan Installment, the period from 61st Day to 90th Day of the SMA falls under SMA2
After the SMA0, SMA1 and SMA2 rounds are over and the loan installment is not paid,
the bank declares the Asset as Non-Performing Assets (NPA). But even on this SMA round,
there is a constant endeavor of the bank not to declare the Asset as Non-Performing Assets (NPA)
and for this, the concerned person is requested for installment payment.
The declared is Non-Performing Assets (NPA Full Form) of the bank is also divided into three categories: –
1. Sub Standard Asset – The Bank’s Asset is called Sub Standard Asset for non-payment
of installment from the initial first day of the NPA up to the twelve month period.
2. Doubtful Asset – Bank’s Asset is called Doubtful Asset, if, even after the completion
of twelve months of the Sub Standard Asset, repayment of Loan is not done in next twelve months.
3. Loss Asset – If Loan Installment is not paid within twelve months period of the Doubtful
Asset then Bank will conduct internal or external audit and if confirmed through this Audit
report that the concerned person will not make further repayment of the loan then the Asset will be declared as Loss Asset.
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After this, the bank starts the second option of Loan Recovery for which appointment of Debt Recovery Agent is also done. The various legal options have also been made for recovery of loan after the assets get declared as Loss Asset. The name of some legal options which were being used for Loan Recovery time to time by the Banka are Company Act 1956, Recovery of Debt Act 1993 and SARFAESI Act 2002 (Securitization and Reconstruction of Financial Asset and Enforcement of Securities Interest Act – 2002).
The definition of नॉन पेरफोरमिंग अससेट्स (NPA FULL FORM) on loans given to farmers is different. The loan given to the farmers it means CROP LOAN which is of two types: –
1. Short Term Crop-Loan : The loan provided by the bank to farmers for crop cultivation
that gets ready within a year for Harvest is Mean Short Term Crop-Loan.
2. Long Term Crop-Loan: The loan provided by the bank to farmers for crop cultivation
that takes more than a year for Harvest is mean Long Term Crop-Loan.
Under the Short Term Crop-Loan, if the payment of loan installment by the farmer is not done within the Loan time period and even, till the completion of next two Crop season (harvesting period of the crops), then the bank will declare such Assets as नॉन पेरफोरमिंग अससेट्स means NPA Full Form.
Under the Long Term Crop-Loan, if the installment of the loan is not paid by the farmer within the stipulated time period and even, till the completion of next One-Crop Season (harvesting period of the crops), then the bank will declares such Assets as नॉन पेरफोरमिंग अससेट्स means NPA.
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