SARFAESI ACT 2002 Non Performing Assets (NPA) to Loss Assets

SARFAESI ACT, 2002LOAN RECOVERY

Non Performing Assets (NPA) to Loss Assets

किसी व्यक्ति को बैंक द्वारा दिया गया Loan बैंक के लिए Assets होता है और उस व्यक्ति के लिए Liability हो जाता हैं। किसी भी उद्देश्य के लिए बैंक द्वारा प्राप्त Loan की रक्म को किश्त के रूप में वापस करना पड़ता हैं। लेकिन किश्त की रक्म नव्वे (९०) दिनों तक जमा न होने की स्थिति में बैंक इसे Non-Performing Assets यानि NPA घोषित कर देता हैं। इक्यानबे (९१) दिन से लेकर अगले चौबीस (२४) महीने के भीतर Loan की भुगतान न होने पर और उसके बाद audit से अगर यह सुनिश्चित है जाता हैं की अब Loan की भुगतान नही हो पायेगा तो बैंक इसे Loss Assets घोषित कर देता हैं। इस बाद शुरू होता है क़ानूनी दांव-पेंच जिससे बैंक को Loan Recovery करना पड़ता है।

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कौन सी कानूनी प्रावधान के तहत बैंक Loan Recovery कर सकता हैं?

Loan Recovery के तहत कोई सारे कानून बने और गुजरते समय के साथ इन कानूनों में बदलाव भी होता रहा।

निम्नलिखित कानूनी प्रावधान से बैंको को Loan Recovery का अधिकार प्राप्त है-

1) Companies Act – 1956 (Sec 137)

2) Recovery of Debt Act – 1993

(i)    Debt Recovery Tribunal (DRT)

(ii)    Debt Recovery Appellate Tribunal (DRAT)

3) SARFAESI Act – 2002

शुरुवाती दौर में कानून के प्रावधान Companies Act – 1956 (Sec 137) के अनुसार बैंको को

Loan Recovery के लिए Civil Court पर ही मुकदमा दर्ज करना पड़ता था। लेकिन यहां पर

सबसे बड़ी रोड़ा यह था की Civil Court पर सुनवाई के लिए तारीख पर तारीख मिलता था

और मामला कोई सालों तक लटका ही रहता था।

Companies Act – 1956 (Sec 137) के तहत जब Loan Recovery के मामले सालों

तक विचाराधीन रहने लगे तो सरकार ने नया कानून Recovery of Debt Act – 1993

बनाया। इस कानून में Loan Recovery के मामले को एक सौ अस्सी (180) दिनों के

अंदर निपटाने के प्रावधान थे और आज भी हैं। इसके तहत दो Special Court – “Debt Recovery

Tribunal (DRT) और Debt Recovery Appellate Tribunal (DRAT) का गठन हुआ।

NPA Full Form: Non-Performing Assets of a Bank (Assets and Liability)

DRT एक हाई कोर्ट की तरह है और DRAT माननीय सुप्रीम कोर्ट की तरह। इस कानून के तहत

Loan Recovery के लिए बैंक borrower (उधर लेने वाला) के खिलाफ DRT पर मुकदमा दर्ज

कर सकता हैं। इस कानून पर यह प्रावधान भी बना हुआ है की अगर borrower DRT के फैसले

से संतुष्ट नही है तो वे DRAT में इस फैसले के खिलाफ अपील कर सकता हैं। शुरुवाती दौर में यह

कानून काफी प्रभावशाली रहा और मामलों के निपटारा तय निर्धारित समय से होने लगा। लेकिन

गुजरते समय के साथ इस कोर्ट पर भी मामले बढ़ते गए जिनका निपटारा एक सौ अस्सी (180)

दिनों में नही हो पा रहा था। आख़िरकार Loan Recovery के मामलों की जल्द निपटारा के

लिए एक नये मजबूत और प्रभावशाली कानून की जरूरत पड़ी जिसे सरकार ने

Non Performing Assets SARFAESI Act – 2002 के रूप में अस्तित्व में लाया।

SARFAESI Act – 2002 के तहत बैंक Loan Recovery के मामलों को जल्द से जल्द कैसे निपटाते हैं?

Non performing Assets SARFAESI Act – 2002 (Securitisation and Reconstruction of Financial Assets and Enforcement of Securities Interest Act – 2002) के तहत बैंको को एक विशेष अधिकार प्राप्त हो गया हैं। अब बिना किसी अदालत (सिविल कोर्ट, DRT और DRAT) में  मुकदमा दर्ज किये ही Loan Recovery की प्रक्रियां शुरू कर सकता हैं। Loan की रकम बैंक द्वारा LOSS ASSET घोषित होते ही Borrower को साठ (60) दिन का नोटिस भेजा जाता हैं। इस तय निर्धारित समय सीमा के अंदर Loan की भुगतान न होने पर बैंक Borrower के द्वारा गिरवी रखी गई वस्तुओं को जब्त कर सकता हैं। इस तरह के वस्तुओं को Encumbered Properties कहते हैं। Encumbered Properties को बेचकर या lease/किराए पर देकर Loan Recovery कर सकता हैं।

अगर Borrower किसी बड़ी कंपनी का मालिक है जिन्होंने Stock के आधार पर Loan प्राप्त कर रखा हैं तो ऐसी स्थिति में Loan की रकम Loss Asset घोषित होने पर, company का सारा प्रबंधन बैंक अपने नियंत्रण में ले सकती हैं और बकाया Loan की राशि पूरी तरह वसूली होने तक अपने नियंत्रण में रखकर चला सकती हैं।

SARFAESI Act – 2002

के तहत बैंको और PFI (Public Financial Institution) को यह अधिकार प्राप्त हैं की वे Borrower को साठ (60) दिन का नोटिस भेजकर Loan Recovery की प्रक्रिया को शुरू कर सकता हैं। लेकिन इस कानून के कुछ प्रावधान ऐसे भी है जिसके मुताबिक बैंक SARFAESI Act – 2002 का इस्तेमाल कर Loan Recovery नही कर सकता हैं।

1)     कृषि ऋण यानि Agriculture Loan पर SARFAESI Act – 2002 लागु नहीं हो सकता हैं।

2)     अगर ऋण की बकाया राशि एक लाख या उससे कम हो तो SARFAESI –Act 2002 लागु नहीं हो सकता हैं।

3)     अगर ऋण की बकाया राशि कुल राशि व्याज सहित 20% से कम है तो SARFAESI Act 2002 लागु नहीं हो सकता हैं।

SARFAESI – Act 2002

के तहत बैंक और PFI को विशेष अधिकार प्राप्त होने के

साथ साथ Borrower को भी अपना पक्ष रखने का अधिकार दे रखा है। Borrower

किसी कारणवश ऋण समय पर न चुकाने की स्थिति में बैंक द्वारा साठ दिन का Notice

मिलने पर पंद्रह दिनों के अंदर बैंक को अपने जायज कारणों का हवाला देकर कुछ दिनों

की और महलोत ले सकता हैं। अगर बैंक पंद्रह दिनों के अंदर Borrower की प्रस्ताव को

नामंजूर करता हैं तो अगले पैंतालीस दिनों के भीतर DRT और DRAT में अपील कर सकता हैं।

लेकिन DRAT में अपील करने से पहले ऋण की बकाया राशि की 50% रक्म को DRAT में

जमा करना होता हैं। अगर DRAT में भी Borrower की अपील ख़ारिज हो जाता है तो बैंक या

PFI का फैसला ही सर्वपरी होगा और फिर SARFAESI – Act 2002 के तहत

Loan Recovery का प्रक्रिया पूरा किया जाएगा। हमे यह समझना होगा की बैंक

या PFI से Loan लेने से पहले मानसिक और शारीरिक रूप से पूरी तरह तैयार रहना है

ताकि Loan की राशि को किश्त के रूप में पूरी तरह इमानदारी से चुकाया जा सकें।

ऐसा करने से CIBIL Score अच्छी बनी रहेगी और अगली ऋण सुविधा प्राप्त करने में भी आसानी होगी।

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