नाटो क्या है? What is Nato?
यूक्रेन पर रूस के हमले के साथ ही यूरोप में एक ऐसी जंग का आगाज हो चुका है
जिसकी चिंगारी से पूरी दुनिया में आग लग सकती है। लंबे वक्त से इसकी
आशंका जताई जा रही थी लेकिन रोका नहीं जा सका। अब सवाल ये है कि
क्या इस जंग को रोकने की कोशिश नहीं हुई जैसी होनी चाहिए थी।
आखिर क्यों रूस ने उस देश पर हमला कर दिया जो 30 साल पहले
उसका ही साथी था। आखिर यूक्रेन नाटो के साथ जुड़ने की जिद पर अड़ा रहा।
जो पुतिन को किसी भी सूरत में मंजूर नहीं था और आखिरकार नाटो क्या है
जिससे रूस को इतनी नफरत है कि उससे जुड़ने की इच्छा रखने के आरोप
में ही पुतिन की फौज ने यूक्रेन में तबाही मचाना शुरू कर दिया। और क्यों
नाटो देशों की सेनाएं यूक्रेन की सहायता के लिए मैदान में नहीं हैं।
नाटो क्या है (NATO)
इन सवालों के जवाब जानने के लिए हमें नाटो के इतिहास को समझना होगा।
नाटो का मतलब है नॉर्थ अटलांटिक ऑर्गनाइजेशन (NATO) या सीधे शब्दों में अगर
कहें तो नाटो अमेरिका और यूरोपीय देशों का एक ऐसा गठबंधन है जो युद्ध
के हालात में एक दूसरे की सहायता करते हैं। इनमें से किसी भी एक देश पर
हमला सभी देशों पर हमला माना जाता है। अगर दूसरे शब्दों में कहें तो नाटो
ही वो समझौता है जो इसके सदस्य देशों को अमेरिका की सुरक्षा छतरी में ले
जाता है। मौजूदा वक्त में नाटो के 30 सदस्य हैं और यूक्रेन का 31वां सदस्य
बनना चाहता था। दरअसल नाटो अपनी पैदाइश के वक्त से ही रूस की
आंखों की किरकिरी बना हुआ है। नाटो का गठन दूसरे विश्व युद्ध के बाद
महाशक्ति बने सोवियत संघ यानी कि रूस की फौजी ताकत से यूरोप को बचाने
लिए अमेरिका ने किया था। इस समझौते के तहत रूस के हमले के वक्त अमेरिका किसी भी वक्त यूरोपीय देशों की रक्षा के लिए युद्ध में पहुंच सकता है।
नाटो क्या है हिंदी
1991 दौर में बनी नाटो में 12 सदस्य थे जिनमें ब्रिटेन फ्रांस इटली और जर्मनी जैसे यूरोपीय देशों के अलावा अमेरिका और कैनेडा भी शामिल थे। इस समझौते के तहत इसके सदस्य देशों में अमेरिकी फौज और उसका अतिरिक्त साजोसामान तैनात रहता है।
धीरे धीरे यूरोप में नाटो का दायरा बढ़ता गया और ये सोवियत संघ के सीने में नश्तर की तरह चुभता।
कोल्ड वॉर के दौरान नाटो ने सोवियत संघ के साथ दुनिया के अलग अलग कोनों में टक्कर और
1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद जब कोल्ड वॉर भी खत्म हो गई तब रूस को उम्मीद थी
कि अब नाटो यूरोप में ज्यादा विस्तार नहीं करेगा लेकिन ऐसा हुआ नहीं और 999 में पोलैंड हंगरी
और चेक रिपब्लिक नाटो में शामिल हो गया।
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नाटो ने रूस को बड़ा झटका 2002 में दिया जब सोवियत संघ के सदस्य रहे लातविया एस्टोनिया और लिथुआनिया जैसे पांच देश नाटो में शामिल हो गए। अब नाटो की पहुंच रूस के दरवाजे तक हो गई। रूस को डर है कि नाटो सदस्य देशों के जरिए अमेरिका अपने घातक हथियारों की तैनाती रूस के करीब कर रहा है
मूल रूप से नाटो क्या है
और अब जबकि नाटो ने यूक्रेन के जरिए रूस के दरवाजे पर दस्तक देने की योजना बनाई तो पुतिन ने यूक्रेन पर हमला ही कर दिया। पुतिन के लिए नाटो को चकमा दे दिया है
यूक्रेन अभी तक नाटो का सदस्य नहीं बना है और नाटो का कोई भी देश चाहकर भी यूक्रेन में फिलहाल फौज नहीं भेज सकता। ज्यादा से ज्यादा अमेरिका और उसके नाटो सहयोगी देश यूक्रेन को हथियारों की सप्लाई कर सकते हैं
जो वो कर भी रहे हैं लेकिन पुतिन की फौज की ताकत के सामने ये मदद नाकाफी साबित होगी। बहरहाल हमारी इस खबर पर क्या है आपकी प्रतिक्रिया हमें कमेंट करके।
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