Dollar VS Rupee:-Appreciation and Depreciation of Currency Notes of Nation

Dollar VS Rupee

Dollar VS Rupee: वर्तमान समय में वैश्विक व्यापार ज्यादातर अमेरिकी डॉलर में होने लगा हैं।

विदेशों में भ्रमण से लेकर अंतरराष्ट्रीय कर्ज की लेनदेन या किसी भी देश

की मुद्राभंडार अमेरिकी डॉलर में ही होता हैं। वैश्विक मंच पर अमेरिकी

डॉलर का सबसे ज्यदा इस्तेमाल होने के कारण यह अब सबसे मजबूत

मुद्रा बन चूका हैं। वैसे तो अमेरिकी डॉलर से भी ज्यादा मूल्य वाले मुद्रा

Euro, Pound आदि के रूप में मौजूद हैं, लेकिन अमेरिकी डॉलर का

वैश्विक मंच पर अधिकांश इस्तेमाल होने के कारण यह अब सबसे ज्यादा

मजबूत स्थिति में हैं। किसी भी देश की स्वस्थ अर्थव्यवस्था उसकी मुद्रा

की मूल्य पर निर्भर करता हैं।

Dollar VS Rupee- National Mathematics Day of India –राष्ट्रीय गणित दिवस

भारत की मुद्रा को रुपए के नाम से जान जाता हैं। इस रूपये की मूल्य आजादी से पहले

अमेरिकी डॉलर से ज्यादा हुआ करता था। जब देश आजाद हुआ तब रुपए और

अमिरीकी डॉलर का मूल्य बराबर था। धीरे-धीरे वैश्विक व्यापार के तौर-तरीके

पर कोई सारे बदलाव आने लगे जिसका असर रुपए पर कुछ इस तरह हुआ की

आज की वर्तमान समय में एक अमेरिकी डॉलर लगभग पचत्तर रूपये (1$ = ₹75)

के बराबर हो गया। रूपये में आए कमजोरी के कोई सारे कारण है जिनमे प्रमुख रूप

से अंतरराष्ट्रीय बाजार पर कच्चे तेल की कीमतों पर लगातार बृद्धि होना है। भारत

अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए 80% कच्चे तेल की आयात (import) करता हैं।

कच्चे तेल की खरीदारी अमेरिकी डॉलर में होता हैं इसीलिए भारत को इसकी भुगतान

करने के लिए अपनी देश की रूपये को डॉलर में बदलकर देना पड़ता है। इसका तात्पर्य

यही हुआ की भारत को पहले अमेरिकी डॉलर को खरीदना पड़ता हैं और फिर

इसी डॉलर को कच्चे तेल को खरीदने के लिए भुगतान करना पड़ता हैं।

Dollar VS Rupee- Why Is Everyone Talking About Lic Term Insurance 1 Crore? Hindi English

dollar vs rupee

कच्चे तेल की लगातार बढ़ती कीमतों के कारण, ज्यादा मात्रा में अमेरिकी डॉलर खरीदने पड़ते है

जिसकी वजह से डॉलर की मांग (Demand) भी बढ़ने लगते हैं। स्वाभिक है, जब डॉलर की मांग

(Demand) उसकी आपूर्ति (Supply) से ज्यादा होंगे लगती हैं तो डॉलर में मजबूती आती हैं

और रुपए कमजोर होने लगता हैं और फिलहाल यही हो रहा हैं। जब किसी देश का आयात

(import) उसकी निर्यात (Export) से ज्यादा हो जाती हैं तो उसे Current Account Deficit कहते हैं

और यह अर्थव्यवस्था के लिए शुभ संकेत नही हैं। ऐसा होने पर देश की मुद्रा स्थिति कमजोर होने

लगती हैं जिसका असर आम जनता के उनके रोजाना दैनिक कार्य में बुरा असर डालता हैं।

इससे महंगाई बढ़ने लगता है और हालत बेकाबू होने पर आर्थिक तंगी का सामना भी करना पड़ता हैं।

TOLL PLAZA TOLL TAX and use of SBI FASTAG


कच्चे तेल के अलावा भारत को इलेक्ट्रॉनिक सामानों के साथ साथ और भी कोई बहुत सारे वस्तुओं को भारी मात्रा में आयात (import) करना पड़ता हैं। भारत में आयात (import) के मुकाबले निर्यात (Export) से जुड़ी अंतरराष्ट्रीय कारोबार बहुत कम हैं। सरल शब्द में यही समझा जा सकता हैं की भारत में डॉलर की Out-Flow ज्यादा है और In-Flow कम हैं। बढ़ते डॉलर की मांग (Demand) से डॉलर लगातार मजबूत हो रहा है और रुपए कमजोर होता जा रहा हैं। यही कर्म चलता रहा तो आने वाले समय में देश को और कठिन परेशानियों का सामना करना पड़ सकता हैं।

देश की स्वस्थ अर्थव्यवस्था के लिए निर्यात (Export) से जुड़ी अंतरराष्ट्रीय कारोबार आयात (import) से ज्यादा होना पड़ेगा और तब अर्थव्यवस्था में Current Account Surplus देखा जा सकता हैं। ऐसा होने पर डॉलर की In-Flow ज्यादा होगी और Out-Flow कम, जिससे रुपए में मजबूती आएगी और देश तरक्की की राह पर अग्रसर होगा। इसलिए जरूरी है की देश की प्राकृतिक संसाधनों के इस्तेमाल सही रूप से हो। समय की मांग यही हैं की हमे अपने देश भारत को आत्मनिर्भर भारत बनाने में हर संभव योगदान दे। हमे धीरे धीरे आयातित (imported) वस्तुओं पर निर्भरता कम करनी होगी।

आत्मनिर्भर भारत को सही दिशा में ले जाने के लिए अपने ही देश में अच्छी गुणवत्ता वाली वस्तुओं का निर्माण कर इसे निर्यात (Export) के जरिये अंतरराष्ट्रीय पटल पर बड़े पैमाने में कारोबार करने की जरुरत हैं। इससे डॉलर की In-Flow पर बढ़ोतरी होगा और देश की आर्थिक स्थिति मजबूत होने के साथ साथ पढ़े लिखे नौजवानों को रोजगार के अवसर भी प्राप्त होते रहेंगे। सरकार की मजबूत इच्छाशक्ति पर भी बहुत कुछ निर्भर करता हैं जिससे सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास को वास्तविक धरातल में देखा जा सके।

EXEMPTION OF 2% TDS DEDUCTION IN CERTAIN CATEGORIES OF ACCOUNT

At present,use of US dollars in global trade are maximum . US dollars have its own significance in almost all types of International Transactions. The US dollar has holds its strongest position in the global platform due to its high usage. Despite of more value of currencies like Euro, Pound, etc. US dollar has its strongest position due to its more and more usage in the international global market. The healthy economy of any nation depends on the value of its currency.

Rupee is the currency of India. Dollar VS Rupee The value of this Rupee was more than the US dollar before independence. When the country achieves independence, the value of Rupee and the US dollar was almost the same. Due to gradual changes that took place in the way of global trade, the impact on the Rupee seen in such a way that at the present time, one US Dollar has become almost equal to seventy-five Rupees (1 $ = ₹ 75). There are many reasons for the depreciation of the Rupee.

One main reason is due to the steady increase in the prices of crude oil in the international market. India imports 80% of crude oil to meet its needs. The transaction related to purchase of Crude oil is in terms of US dollars. So, India has to convert its Rupee Currency into Dollars for payment. This means that India has to first buy the US Dollar and then pay the same Dollar to buy crude oil.

SBI YONO – YOU ONLY NEED ONE

Due to the ever-increasing prices of crude oil, more and more amount of US dollars has to be purchased, due to which the demand for dollars (Demand) also starts increasing. It is quite natural that when the demand for the Dollar is more than its supply, then the Dollar gets strengthened and the Rupee starts to weaken and this is happening right now. When the Import of a country exceeds its Export, it is called the Current Account Deficit and it is not a good sign for the economy. When this happens, the economic condition of the country starts to weaken, which can affect on the daily work of the general public or citizens. Due to this, inflation starts to rise and if the situation is uncontrollable, one may also have to face a financial crisis.

Apart from crude oil, India has to import huge quantities of other goods along with electronic goods. In India, international trade related to export is very less as compared to import. In simple terms, it can be understood that Dollar Outflow is more in India in comparison to its in-flow.Dollar VS Rupee Due to the rising demand for Dollars, the Dollar is getting stronger and the Rupee is getting weaker. If this continues, the nation may face more problems in the days to come.

Yono sbi mobile app yono insta life secure insurance

For the healthy economy of the country, the international business related to export will have to be more than the import and then the current account surplus can be seen in the economy. In this case, Dollar in-flow will be more and out-flow will be less, which will strengthen the Rupee and the country will be on the path of progress. Therefore, it is important that the country’s resources should be properly used. The need of the hour is that we should make every possible contribution to make our economy, a Self Reliant (Atmanirbhar Bharat).

We have to reduce dependency on imported goods gradually. In order to initiate for Self Reliant economy in the right direction, it is necessary to do a large scale business on the international stage through export by manufacturing good quality goods in our own country. This will increase the Dollar in-flow and strengthen the country’s economic condition, provide employment opportunities to educated youths, etc. Many things depend on the strong will power of the government so that support, development, and trust of all can be seen in the ground reality.

Leave a Comment