Subhash Chandra Bose in Hindi | Subhash Chandra Bose Biography
Subhash Chandra Bose – The unforgotten Hero of India’s Independence
(तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हे आज़ादी दूंगा – Give me your Blood, I will give you freedom)
Subhash Chandra Bose in Hindi
परदे के पीछे का वह इतिहास, जो हिंदुस्तान की आज़ादी से जुड़ा हुआ है और कोई सारे
अनसुलझे रहस्य भी जिन्हें आज तक सुलझा नही पाया हैं। एक महानायक की वह महान
बलिदान जिसे देश कभी नही भुल सकता और आने वाले पीढ़ी को हमेशा उनसे राष्ट्रवाद
की शिक्षा मिलता रहेगा। कोई सारें इतिहासकारों के अनुसार ऐसा प्रतीत होता है मानो
भारत को आजादी मिला नही था बल्कि अंग्रेजों ने आजाद कर दिया था। इस आजादी
में अहिंसात्मक आंदोलन से ज्यादा क्रांतिकारी वीरों की अहम भूमिका मानी जाती है
जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपनी शहादत दी। नेताजी सुभाष चंद्र बोस का नाम
क्रांतिकारी वीरों की सूचि में अपनी अलग ही पहचान है जिन्होंने देश की आजादी से पहले
और आजादी के बाद भी अंग्रेजों के नाक में दम कर रखा था।
Subhash Chandra Bose Birthday
उन्नीसवे शताब्दी का आखरी दौर जब अंग्रेज भारत में पूर्ण रूप से हुकुमत कर रहें थे।
चारों और न तो देश की आजादी की चर्चा हो रही थी और न ही इंकलाबी नारा गूंज रहा था।
ऐसे माहौल में ओडिशा की Cuttack में 23 जनवरी 1897 को भारत में एक सपूत
सुभाष चंद्र बोस का जन्म होता है जिनका माता का नाम प्रभावती दत्त और पिता का
नाम जानकीनाथ बोस था। नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने अपने माता-पिता से भी उपर
देश को समझा और अपना पूरा जीवन देश को समर्पित कर दिया था। बचपन से ही
उनके अंदर राष्ट्रवादी स्वभाव विकसित हुआ जिनके कारण अंग्रेजी हुकुमत परेशान
होने लग गए थे। जहां भी अंग्रेज भारतीय पर अत्याचार करता हुआ नजर आता था,
नेताजी सुभाष चंद्र बोस उन्हें उन्ही के भाषा में सबक सिखाते थे।
Subhash Chandra Bose Biography
नेताजी सुभाष चंद्र बोस ऐसे शख्स थे जो दुश्मन के दुश्मन को अपना दोस्त समझते थे।
इस रवैये के चलते उन्हें उस समय अंग्रेजो के शत्रु देशों का साथ मिला और आगे जाकर
आजाद हिन्द फौज का गठन करने में सफलता प्राप्त हुआ। Indian Civil Services परीक्षा में
अव्वल आने के बावजूद उन्होंने सरकारी नौकरी के रूप में अंग्रेजों की गुलामी नहीं की और देश
को आजाद कराने में अपना अहम योगदान देते रहें। उस समय कोई सारे नेता और भी हुआ करते थे
जो अहिंसात्मक तरीके से देश की आजादी के लिए संघर्ष कर रहे थे। लेकिन नेताजी सुभाष चंद्र बोस
एक ऐसी शख्सियत के रूप में उभरकर आया जिन्होंने यह साबित कर दिया की एक ही सिद्धांत
को अपनाकर देश को आजादी प्राप्त नही हो सकता। इसीलिए उन्होंने साम-दाम-दण्ड-भेद
वाली चाणक्य निति को अपनाया और फिर जर्मनी में पहुंचकर हिटलर की सहायता से आजाद
हिंद फौज का गठन किया और फिर देश को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराने में जंग का
बिगुल फुक दिया। उनका एतिहासिक भाषण जिसमें यह कहा था
“तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हे आज़ादी दूंगा” (Give me your Blood, I will give you freedom),
इससे देश के नागरिकों में एक नया उर्जा का संचार हुआ और फिर नए जोश के साथ
देश को अंग्रेजो की गुलामी से मुक्त कराने में संघर्ष चालु हुआ।
Do You Know?
Subhash Chandra Bose Death
भारत को 15 August 1947 को आजादी तो मिल गई लेकिन नेताजी सुभाष चंद्र बोस
रहस्मय तरीके से गुमनामी की दुनिया में खो गया। कोई सारे खबरों से यह पता चलता है
की उनकी मृत्यु एक विमान दुर्घटना में हो गई थी। कोई सारे देशो के अथक प्रयास के बाद
भी उनकी मृत्यु की पुष्टि नही हुई हो पाई और यह मामला आज भी अनसुलझा ही है। गुजरते
समय के साथ देश में ही कुछ लोगो ने तो उनसे साक्षात्कार होने के दावे भी पेश किए लेकिन
कोई भी ठोस प्रमाण से यह साबित नही कर पाया की नेताजी सुभाष चंद्र बोस जीवित है।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की रहस्मय मृत्यु का पता लगाने के लिए देश में कोई सारे
Committee के गठन भी हुआ लेकिन आज तक कोई निष्कर्ष नही निकल पाया ।
सरकार ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जन्मदिन 23 जनवरी 2021 को पहली बार पराक्रम
दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया है। वर्तमान परिस्थिति में देश कोई सारे समस्याओं
से जूझ रहा है। देश में अलगाववादी विचारधारा और क्षेत्रवाद अपना पैर फैलाने को कोशिश
कर रहा है। ऐसे में राष्ट्रवादी विचारधारा के महत्व को समझना बेहद जरुरी है। अत: नेताजी
सुभाष चंद्र बोस की सम्पूर्ण जीवनी को पढ़ने और समझने की जरुरत है जिससे देश में
अदृश्य रूप से पनप रहे समस्याओं पर लगाम लग सके। इससे राष्ट्रवादी तत्व को और
मजबूती मिलेगी और देश प्रगति की राह पर अग्रसर हो सकेगा।