(आखिर ओलंपिक के पांच छल्लों का क्या मतलब है?)
ओलंपिक खेल क्या है,
खेल हमारे जीवन का अहम हिस्सा है जो ना सिर्फ हमें शारीरिक और मानसिक तौर पर मजबूत
बनाते हैं बल्कि यह हमारी मनोरंजन का एक बढ़िया साधन भी है। पूरी दुनिया में कई तरह
के खेल खेले जाते हैं और खेलों के मुकाबले भी होते हैं जैसे भारत में क्रिकेट को बहुत पसंद
किया जाता है और छोटे हो या बड़े सभी इस खेल को जरूर खेलते हैं। खेलों के मामले में
दुनिया का सबसे बड़ा मंच ओलंपिक होता है जहां पर दुनिया के बहुत सारे देशों से आए
खिलाड़ी अलग-अलग खेलों के लिए प्रतियोगिता करते हैं।
ओलंपिक में कई तरह के खेल होते हैं और इसमें सबसे बड़ा पुरस्कार स्वर्ण पदक
(Gold Medal) होता है जो खेलों में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले को प्रदान
किया जाता है। इसके अलावा इसमें Silver और Bronze मेडल भी दिया जाता है।
ओलंपिक को खास बनाती है उसके आयोजन में जलाई गई मशाल जिसका इतिहास
उतना ही पुराना है जितना पुराना यह खेल है। क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर
क्यों ओलंपिक खेलों में इस मशाल को जलाया जाता है? क्यों इसे इतना खास माना
जाता है? और क्यों ओलंपिक खेलों की शुरुआत की गई थी?
प्राचीन ओलंपिक खेल – ओलंपिक का इतिहास
ओलंपिक की शुरुआत प्राचीन यूनान में हुई थी। माना जाता है कि ओलंपिक खेलों की
कहानी हजारों साल पहले ईसा के जन्म से पहले ही शुरू हो गई थी। इन खेलों को
यूनान की राजधानी एथेंस में धार्मिक खेलों के रूप में खेला जाता था। इनका
आयोजन उस समय देवताओं के देवता के सम्मान में किया जाता था।
इसके अलावा यह खेल सैनिकों के प्रशिक्षण और युद्ध की तैयारी में भी काम
आते थे। धारणाओं की माने तो उस समय ओलंपिक्स में मुख्य रूप से रथ
की सवारी, घुड़दौड़, कुश्ती दौड़ और मुक्केबाजी शामिल होते थे। इन
खेलों के साथ ही ओलंपिक में एक मशाल भी जलाई जाती थी। माना
जाता है कि उस समय ओलंपिक की मशाल सूरज के जरिए जलाई
जाती थी और इस मशाल को तब तक जलाए रखा जाता था जब तक
खेलों का समापन ना हो जाए।
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ओलंपिक की मशाल शुद्धता, जीवन और खुद को निपुण करने की हमारी कोशिश को दर्शाती है। आज की ही तरह इस मशाल को उस समय भी ओलंपिक खेल के प्रतीक के रूप में प्रयोग किया जाता था। इन खेलों का नाम ओलंपिक रखा गया क्योंकि इसे ब्रिज के ओलंपिया में खेला जाता था। प्राचीन समय में जो खिलाड़ी जीतता था उसे इनाम के तौर पर एक मूर्ति दी जाती थी। प्राचीन ओलंपिक खेलों का आखिरी आयोजन 394 ईसवी में हुआ था। उसके बाद रोम के सम्राट ने इस खेल को मूर्ति पूजा का आयोजन बताकर प्रतिबंध लगा दिया था।
जब ओलंपिक की शुरुआत होती है तो इस मशाल को जिस देश में खेल आयोजित किए जा रहे हैं वहां ले जाया जाता है और ओलंपिक का समापन होने तक यह लगातार चलती रहती है। जब खेल पर रोम के सम्राट ने प्रतिबंध लगाया तो सैकड़ों सालों तक इन खेलों का आयोजन नहीं किया जा सका और लोगों ने उसे भुला दिया।
आधुनिक ओलम्पिक खेल की शुरुआत
आधुनिक ओलंपिक की फिर से शुरुआत 19वीं शताब्दी में Pierre de Coubertin के प्रयासों के कारण हो पाए है। कहते हैं कि उन्होंने इतिहास के खेल महोत्सव के बारे में सुना था इसलिए उनके दिल में हमेशा से इच्छा थी कि वह भी ऐसे खेल शुरू करवाएं जहां हर कोई आकर खेल सके। माना जाता है कि पहली बार 1896 में ब्रिज के इतिहास में इन ओलम्पिक की फिर से शुरुआत हुई। हालांकि शुरू में इस खेल के अस्तित्व को बचाने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा। शुरू में यह इतना लोकप्रिय नहीं हो पाया, यह इतिहास का केवल हिस्सा था जिसे हर कोई भूल चुका था।
लोगों को इसकी और आकर्षित करना बहुत ही मुश्किल काम था फिर भी Pierre de Coubertin ने थोड़ा बहुत लोगों को इस की ओर खिंच ही लिया था। कहते हैं कि पहले ओलंपिक का बहुत बढ़िया तरीके से आयोजन नहीं हो पाया था। शुरुआत में विश्व की महाशक्ति जैसे अमेरिका और रूस ने इसमें दिलचस्पी नहीं दिखाई, बाकी देशों ने भी इसे कुछ खास तवज्जो नहीं दी। हालांकि Pierre de Coubertin ने हार नहीं मानी और वे ओलम्पिक आयोजन करते रहे। वह बस इस उम्मीद में थे कि एक दिन तो यह प्रसिद्ध होगा ही।
जब मिली ओलंपिक को पहचान
ओलम्पिक को एक नई पहचान उसके चौथे आयोजन में मिली जो लंदन में हुआ था और इसमें करीब 2000 खिलाड़ियों ने भाग लिया था। इसके बाद धीरे-धीरे खेल प्रसिद्ध होता चला गया और दुनिया की महाशक्तियों अमेरिका और रूस के इस खेल में आ जाने के बाद इसकी शान और बढ़ गई। इसके बाद से इस खेल में पदक जीतना देश की प्रतिष्ठा के रूप में देखा जाने लगा। आधुनिक ओलंपिक गेम्स का आधिकारिक प्रति पांच Interlocking रंगीन छल्ले है जो अमेरिका (उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका), एशिया, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका महाद्वीपों को दर्शाते हैं।
इसके अलावा ओलंपिक्स का झंडा सफेद रंग का होता है। 1924 के बाद ओलंपिक गेम्स काफी मशहूर हो गए जब इसका आठवें संस्करण पेरिस में हुआ। उस साल करीब 3000 खिलाड़ी जो 44 देशों से आए थे, जिनमें सौ से ज्यादा महिला खिलाड़ी थे, उन सभी ने हिस्सा लिया था। इसके अलावा ओलम्पिक ऐसी संस्करण में पहली बार Closing Ceremony की गई थी। इसी साल Winter ओलम्पिक में कई खेलों की शुरुआत हुई जैसे Ice Hockey, Finger Sketting, Marathon आदि खेलों की शुरुआत इसी ओलंपिक में हुई थी।
International Olympic Committee का गठन
आज के ओलम्पिक गेम्स के नियंत्रण के लिए International Olympic Committee मौजूद है जिसकी स्थापना 1894 में Pierre de Coubertin ने ही की थी। इसका मुख्यालय स्विट्जरलैंड के जिनेवा में है। यह Committee ओलंपिक का नियंत्रण करती है और इसके अलावा किस देश में अगले ओलंपिक होने हैं इसका फैसला भी यही Committee करती है। इस कमेटी का गठन 100 सदस्यों से होता है जिसमें National Olympic Committees के सदस्य भी शामिल होते हैं, जिनका काम अपने अपने देशों में खेलों को बढ़ावा देना है।
आज जिस देश में ओलंपिक होता है वहां पर ओलम्पिक के शुरू होने से पहले Opening Ceremony होती है। खेल के समापन पर Closing Ceremony होती है जो बड़े ही धूमधाम से मनाई जाती है और एक मेले जैसा माहौल बन जाता है। ओलंपिक्स के शुरुआती हालातों को देखते हुए शायद ही कभी किसी ने सोचा होगा कि इतिहास में दर्ज इस खेल को इतना सम्मान और प्यार मिलेगा। बहरहाल ओलंपिक खेलों में आज कई तरह के खेल शामिल है और Winter ओलंपिक, Summer ओलंपिक जैसे संस्करण भी बन गए। दुनिया के कई देश इसमें भाग लेते हैं और विभिन्न देशों से आए खिलाड़ी पदक जीतने के लिए एक दूसरे से मुकाबला करते हैं। ओलंपिक में मेडल जीतना एक बहुत ही सम्मान की बात मानी जाती है।
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